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Sura 48
Aya 27
27
لَقَد صَدَقَ اللَّهُ رَسولَهُ الرُّؤيا بِالحَقِّ ۖ لَتَدخُلُنَّ المَسجِدَ الحَرامَ إِن شاءَ اللَّهُ آمِنينَ مُحَلِّقينَ رُءوسَكُم وَمُقَصِّرينَ لا تَخافونَ ۖ فَعَلِمَ ما لَم تَعلَموا فَجَعَلَ مِن دونِ ذٰلِكَ فَتحًا قَريبًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही अल्लाह ने अपने रसूल को हक़ के साथ सच्चा स्वप्न दिखाया, "यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम अवश्य मस्जिदे हराम (काबा) में प्रवेश करोगे बेखटके, अपने सिर के बाल मुड़ाते और कतरवाते हुए, तुम्हें कोई भय न होगा।" हुआ यह कि उसने वह बात जान ली जो तुमने नहीं जानी। अतः इससे पहले उसने शीघ्र प्राप्त होनेवाली विजय तुम्हारे लिए निश्चिंत कर दी