84وَأَمطَرنا عَلَيهِم مَطَرًا ۖ فَانظُر كَيفَ كانَ عاقِبَةُ المُجرِمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर हमने उन लोगों पर (पत्थर का) मेह बरसाया-पस ज़रा ग़ौर तो करो कि गुनाहगारों का अन्जाम आखिर क्या हुआ