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Sura 4
Aya 55
55
فَمِنهُم مَن آمَنَ بِهِ وَمِنهُم مَن صَدَّ عَنهُ ۚ وَكَفىٰ بِجَهَنَّمَ سَعيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

फिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुई आग काफ़ी है