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Sura 2
Aya 76
76
وَإِذا لَقُوا الَّذينَ آمَنوا قالوا آمَنّا وَإِذا خَلا بَعضُهُم إِلىٰ بَعضٍ قالوا أَتُحَدِّثونَهُم بِما فَتَحَ اللَّهُ عَلَيكُم لِيُحاجّوكُم بِهِ عِندَ رَبِّكُم ۚ أَفَلا تَعقِلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब वे ईमान लानेवाले से मिलते है तो कहते हैं, "हम भी ईमान रखते हैं", और जब आपस में एक-दूसरे से एकान्त में मिलते है तो कहते है, "क्या तुम उन्हें वे बातें, जो अल्लाह ने तुम पर खोली, बता देते हो कि वे उनके द्वारा तुम्हारे रब के यहाँ हुज्जत में तुम्हारा मुक़ाबिला करें? तो क्या तुम समझते नहीं!"