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Sura 2
Aya 256
256
لا إِكراهَ فِي الدّينِ ۖ قَد تَبَيَّنَ الرُّشدُ مِنَ الغَيِّ ۚ فَمَن يَكفُر بِالطّاغوتِ وَيُؤمِن بِاللَّهِ فَقَدِ استَمسَكَ بِالعُروَةِ الوُثقىٰ لَا انفِصامَ لَها ۗ وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

दीन में किसी तरह की जबरदस्ती नहीं क्योंकि हिदायत गुमराही से (अलग) ज़ाहिर हो चुकी तो जिस शख्स ने झूठे खुदाओं बुतों से इंकार किया और खुदा ही पर ईमान लाया तो उसने वो मज़बूत रस्सी पकड़ी है जो टूट ही नहीं सकती और ख़ुदा सब कुछ सुनता और जानता है