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Sura 2
Aya 205
205
وَإِذا تَوَلّىٰ سَعىٰ فِي الأَرضِ لِيُفسِدَ فيها وَيُهلِكَ الحَرثَ وَالنَّسلَ ۗ وَاللَّهُ لا يُحِبُّ الفَسادَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जहाँ तुम्हारी मोहब्बत से मुँह फेरा तो इधर उधर दौड़ धूप करने लगा ताकि मुल्क में फ़साद फैलाए और ज़राअत (खेती बाड़ी) और मवेशी का सत्यानास करे और ख़ुदा फसाद को अच्छा नहीं समझता