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Sura 16
Aya 127
127
وَاصبِر وَما صَبرُكَ إِلّا بِاللَّهِ ۚ وَلا تَحزَن عَلَيهِم وَلا تَكُ في ضَيقٍ مِمّا يَمكُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र कर भी नहीं सकते और उन मुख़ालिफीन के हाल पर तुम रंज न करो और जो मक्कारीयाँ ये लोग करते हैं उससे तुम तंग दिल न हो